भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जीवन का यज्ञ / रश्मि शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} <poem> मेरी प्रार्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार=
+
|रचनाकार=रश्मि शर्मा
|अनुवादक=
+
|संग्रह=
+
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
 
मेरी प्रार्थनाओं में
 
मेरी प्रार्थनाओं में

04:00, 7 अक्टूबर 2018 का अवतरण

मेरी प्रार्थनाओं में
जब से
तुम शामि‍ल हुए हो
मन मेरा
समि‍धा बन बैठा है

हर आहुति के साथ
तेज धधक उठती है
प्रेम की ज्‍वाला
और
हर स्‍वाहा के साथ
तुममें जा मि‍लने को
व्‍यग्र, आतुर मन
है पूर्णाहुति की प्रतीक्षा में

आओ
मि‍लकर पूर्ण करें
जीवन का यह यज्ञ
तुम हवन कुंड बनो
मैं समि‍धा बन तुममें
समाहि‍त हो जाऊं

और पवि‍त्र श्‍लोक बन
हर जन्‍म तुम्‍हें याद आऊं।