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"अग्नि देश से आता हूँ मैं / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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उसे लुटाता आया मग में, | उसे लुटाता आया मग में, | ||
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अग्नि देश से आता हूँ मैं! | अग्नि देश से आता हूँ मैं! | ||
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लेकिन देर बड़ी कर आए, | लेकिन देर बड़ी कर आए, | ||
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कंचन तो लुट चुका, पथिक, अब लूटो राख लुटाता हूँ मैं! | कंचन तो लुट चुका, पथिक, अब लूटो राख लुटाता हूँ मैं! | ||
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19:25, 26 सितम्बर 2009 का अवतरण
अग्नि देश से आता हूँ मैं!
झुलस गया तन, झुलस गया मन,
झुलस गया कवि-कोमल जीवन,
किंतु अग्नि-वीणा पर अपने दग्ध कंठ से गाता हूँ मैं!
अग्नि देश से आता हूँ मैं!
स्वर्ण शुद्ध कर लाया जग में,
उसे लुटाता आया मग में,
दीनों का मैं वेश किए, पर दीन नहीं हँ, दाता हूँ मैं!
अग्नि देश से आता हूँ मैं!
तुमने अपने कर फैलाए,
लेकिन देर बड़ी कर आए,
कंचन तो लुट चुका, पथिक, अब लूटो राख लुटाता हूँ मैं!
अग्नि देश से आता हूँ मैं!