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14:54, 19 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण
नेकौ एक केश की न समता सुकेशी लहै,
नैनन के आगे लागै कमल रुमाली।
तिल सी तिलोत्तमाहू रति हू सी लगे,
समनुख ठाढ़ रहै लाल हित लालची॥
‘चन्द्रकला’ दान आगे दीन कल्पवृक्ष लागै,
वैभव के आगे लागे इन्द्रहू कुदालची।
धन्य धन्य राधे बृषभानु की दुलारी तोहिं,
जाके रूप आगे लगे चन्द्रमा मसालची॥