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"हर एक जानवर की रिहाई का फ़ैसला / के. पी. अनमोल" के अवतरणों में अंतर

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ये पत्तियों पे जो शबनम का हार रक्खा है
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हर एक जानवर की रिहाई का फ़ैसला
न जाने किसने गले से उतार रक्खा है
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हैरान हूँ मैं सुन के कसाई का फ़ैसला
  
उस एक उजले सवेरे के वास्ते कब से
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आया है शह्र भर की भलाई का फ़ैसला
अँधेरी रात ने दामन पसार रक्खा है
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लेकिन वो अस्ल में है कमाई का फ़ैसला
  
ग़ज़ल ज़ुबां पे, हँसी लब पे, रंग आँखों में
+
बेटी की ख़ैर, एक दो माँगों के ही एवज़
तुम्हारे प्यार ने मुझको सँवार रक्खा है
+
टाला भी कैसे जाए जमाई का फ़ैसला
  
मज़ा सफ़र में मिले और बची रहे सेहत
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राखी करेगी माँग किसी दिन कलाई से
टिफ़िन में खाने के साथ उसने प्यार रक्खा है
+
थोपा न जाय बहनों पे भाई का फ़ैसला
  
कुछेक लोग मुझे जां से ज़्यादा प्यारे हैं
+
दहशत के मारे भाग गये दश्त की तरफ
तुम्हारा नाम उन्हीं में शुमार रक्खा है
+
लफ़्ज़ों ने सुन लिया था छपाई का फ़ैसला
  
अगर रुका तो कहीं ये थकान उठने दे
+
लड़कर हमारे पुरखों को हासिल हुआ कुछ
ये सोच, चलना अभी बरक़रार रक्खा है
+
फिर कर रहे हैं हम क्यों लड़ाई का फ़ैसला
  
ज़रा-सा देख के अनमोल तुम बताओ मुझे
+
अनमोल एक रोज़ मिलेंगे ज़रूर दिल
ये मेरे नाम से क्या इश्तिहार रक्खा है
+
है ठीक तेरा हाथ मिलाई का फ़ैसला
 
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22:44, 23 नवम्बर 2018 के समय का अवतरण

हर एक जानवर की रिहाई का फ़ैसला
हैरान हूँ मैं सुन के कसाई का फ़ैसला

आया है शह्र भर की भलाई का फ़ैसला
लेकिन वो अस्ल में है कमाई का फ़ैसला

बेटी की ख़ैर, एक दो माँगों के ही एवज़
टाला भी कैसे जाए जमाई का फ़ैसला

राखी करेगी माँग किसी दिन कलाई से
थोपा न जाय बहनों पे भाई का फ़ैसला

दहशत के मारे भाग गये दश्त की तरफ
लफ़्ज़ों ने सुन लिया था छपाई का फ़ैसला

लड़कर हमारे पुरखों को हासिल हुआ न कुछ
फिर कर रहे हैं हम क्यों लड़ाई का फ़ैसला

अनमोल एक रोज़ मिलेंगे ज़रूर दिल
है ठीक तेरा हाथ मिलाई का फ़ैसला