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"जान अपनी दे कर भी ज़िंदगी कमा लाया / हस्तीमल 'हस्ती'" के अवतरणों में अंतर
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मेरा भाई जब खाना माँ के हाथ का लाया | मेरा भाई जब खाना माँ के हाथ का लाया | ||
17:42, 18 जून 2020 के समय का अवतरण
जान अपनी दे कर भी ज़िंदगी कमा लाया
पत्थरों की बारिश से आईना बचा लाया
एक-इक ख़ुशी दे दी संग दिल ज़माने को
बच रहे थे ग़म उनको मेरा दिल उठा लाया
ज़िंदगी ने हँस-हँस के देखा ये तमाशा भी
लोग आँधियाँ लाए और मैं दिया लाया
आ गया था थाली में स्नेह सारी दुनिया का
मेरा भाई जब खाना माँ के हाथ का लाया
ज़िन्दगी के मेले में मन भटक गया `हस्ती'
क्या हमें दिखाना था क्या हमें दिखा लाया