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बुद्ध और नाचघर (कविता) / हरिवंशराय बच्चन
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20:23, 16 मई 2020
<poem>
"बुद्धं शरणं गच्छामि,
ध्मंबुद्
धम्मं
शरणं
गच्छाेमि
गच्छामि
,
संघं शरणं गच्छामि।"
Sharda suman
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