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लंच बॉक्स / बालस्वरूप राही

630 bytes added, 17:52, 23 जनवरी 2020
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|रचनाकार=बालस्वरूप राही
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मम्मी, छोड़ो लाड़-दुलार,
लंच बॉक्स कर दो तैयार।
सब्जी खूब मसालेदार,
गरम पूरियाँ पूरी चार।
पापड़ हो जाता बेकार,
रख दो चटनी और आचार।
क्यों देतीं केला हर बार,
मम्मी, रखना आज अनार।
</poem>
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