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"चंद आदिम रूप / विजयशंकर चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर
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वैसे ही बिदकते हैं पशु | वैसे ही बिदकते हैं पशु | ||
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जैसे ईसा से करोड़ साल पहले. | जैसे ईसा से करोड़ साल पहले. | ||
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शेर की आहट पाकर | शेर की आहट पाकर | ||
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जैसे होता था हिरन बनने के दिनों में. | जैसे होता था हिरन बनने के दिनों में. | ||
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21:51, 9 जुलाई 2020 का अवतरण
बाढ़ में फंसने पर
वैसे ही बिदकते हैं पशु
जैसे ईसा से करोड़ साल पहले.
ठीक वैसे ही चौकन्ना होता है हिरन
शेर की आहट पाकर
जैसे होता था हिरन बनने के दिनों में.
गज और ग्राह का युद्ध
होता है उसी आदिम रूप में.
जैसे आज भी काट खाता है दांतों से
नखों से फाड़ देता है मनुष्य शत्रु को
निहत्था होने पर.