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− | एक रेगिस्तान | + | वहाँ भी होता है |
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− | उड़ती हुई रेत | + | जहाँ किसी को दिखाई नहीं देती |
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− | एक रौशनी | + | पतंगों के आत्मदाह पर |
− | जहाँ पाबंदी होती है | + | वहाँ भी होती है |
− | पतंगों के आत्मदाह पर | + | एक दहशत |
− | + | जहाँ अदब के साथ | |
− | वहाँ भी होती है | + | क़ातिलों से इजाज़त मांगनी होती है |
− | एक दहशत | + | |
− | जहाँ अदब के साथ | + | |
− | क़ातिलों से इजाज़त मांगनी होती है | + | |
चीख़ने से पहले | चीख़ने से पहले | ||
− | + | वहाँ भी होता है | |
− | वहाँ भी होता है | + | एक शोक |
− | एक शोक | + | जहाँ मोमबत्तियाँ तक नहीं होतीं |
− | जहाँ मोमबत्तियाँ तक नहीं होतीं | + | मरने वालों की याद में जलने |
− | मरने वालों की याद में जलने | + | या जलाने के लिए |
− | या जलाने के लिए | + | वहाँ भी होता है |
− | + | एक शून्य | |
− | वहाँ भी होता है | + | जहाँ नहीं पहुँच पाते |
− | एक शून्य | + | टी० वी० के कैमरे। |
− | जहाँ नहीं पहुँच पाते | + | </poem> |
− | टी० वी० के कैमरे।< | + |
06:17, 3 जुलाई 2016 के समय का अवतरण
वहाँ भी होता है
एक रेगिस्तान
जहाँ किसी को दिखाई नहीं देती
उड़ती हुई रेत
वहाँ भी होता है
एक दर्द
जहाँ तलाश नहीं किये जा सकते
चोट के निशान
वहाँ भी होती है
एक रात
जहाँ जुर्म होता है
चांद की तरफ़ देखना भी
वहाँ भी होती है
एक रौशनी
जहाँ पाबंदी होती है
पतंगों के आत्मदाह पर
वहाँ भी होती है
एक दहशत
जहाँ अदब के साथ
क़ातिलों से इजाज़त मांगनी होती है
चीख़ने से पहले
वहाँ भी होता है
एक शोक
जहाँ मोमबत्तियाँ तक नहीं होतीं
मरने वालों की याद में जलने
या जलाने के लिए
वहाँ भी होता है
एक शून्य
जहाँ नहीं पहुँच पाते
टी० वी० के कैमरे।