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"मेरी गुड़िया / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर
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वहाँ नहीं मिलेगा ये बिस्तर; | वहाँ नहीं मिलेगा ये बिस्तर; | ||
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14:24, 19 अक्टूबर 2020 के समय का अवतरण
मैया! खिली कलियाँ केली की;
ज्यों डोली गुड़िया अलबेली की।
नन्ही चिड़िया उड़ती फूलों पर;
झूलती टहनी के झूलों पर।
केली पर लटकी बेल चमेली,
झूमर बारात सजी सहेली।
मेरी गुड़िया है आज उदास;
जाना उसको गुड्डे के पास।
वहाँ नहीं मिलेगा ये बिस्तर;
मोबाइल, गेम ना कम्प्यूटर।
फिर यह कैसे वहाँ रहेगी।
मुझसे दूरी कैसे सहेगी?
इसे तो मैं खूब पढाऊँगी,
अपने हाथों से सजाऊँगी।
पढ़ाई करके बड़ी बनेगी
सबके भलाई सदा करेगी ।