भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"नटवर नै भेस / खड़ी बोली" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} '''मनिहार कृष्ण <br>''' नटवर नै भेस बनाया<br> ब्रज चूड़ी बेचने आया<br> ...) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
− | + | {{KKLokRachna | |
− | + | |रचनाकार=अज्ञात | |
+ | }} | ||
+ | {{KKLokGeetBhaashaSoochi | ||
+ | |भाषा=खड़ी बोली | ||
+ | }} | ||
'''मनिहार कृष्ण <br>''' | '''मनिहार कृष्ण <br>''' | ||
पंक्ति 19: | पंक्ति 23: | ||
ब्रज चूड़ी बेचने आया ।<br> | ब्रज चूड़ी बेचने आया ।<br> | ||
नटवर नै भेस बनाया……<br> | नटवर नै भेस बनाया……<br> | ||
− |
15:34, 19 सितम्बर 2008 के समय का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
मनिहार कृष्ण
नटवर नै भेस बनाया
ब्रज चूड़ी बेचने आया
कोई चूड़ी पहन लो छोरियो ऽ ऽ
सखियों ने सुना राधा से कहा
राधा ने झट बुलवाया ,
ब्रज चूड़ी बेचने आया।
राधा पहरन लगी
स्याम पहराने लगे
उसने कसकर हाथ दबाया,
ब्रज चूड़ी बेचने आया ।
राधा जाण गई
कोई छलिया है ये
चलिए ने छल दिखलाया ,
ब्रज चूड़ी बेचने आया ।
नटवर नै भेस बनाया……