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"दीप जलाएँ / शिवजी श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
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+ | गहरा संकट है | ||
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+ | मौसम ने भी अनायास | ||
+ | तेवर बदले हैं | ||
+ | झंझावाती आँधी की | ||
+ | भीषण बेला मे | ||
+ | आओ साथी | ||
+ | हम मधुऋतु के गीत सुनाएँ | ||
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+ | हर गवाक्ष पर एक दीप | ||
+ | जब मुस्काएगा | ||
+ | कैसा भी हो घना तिमिर | ||
+ | छँट ही जाएगा | ||
+ | मायावी वृत्तियाँ स्वयम | ||
+ | भय से भागेंगी | ||
+ | वेद ऋचाएँ हर आँगन में | ||
+ | फिर जागेंगी | ||
+ | हर ड्यौढ़ी में खुशियों की | ||
+ | फूटें फुलझड़ियाँ | ||
+ | हम सब मिलकर | ||
+ | यूँ प्रकाश का पर्व मनाएँ | ||
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09:16, 2 अगस्त 2020 के समय का अवतरण
आओ साथी
मिलकर हम सब
दीप जलाएँ,
आशंकाएँ तैर रही हैं
समय विकट है
आज मनुजता पर लगता
गहरा संकट है
सहमे सहमे /डरे डरे से
लोग खड़े है
मौसम ने भी अनायास
तेवर बदले हैं
झंझावाती आँधी की
भीषण बेला मे
आओ साथी
हम मधुऋतु के गीत सुनाएँ
हर गवाक्ष पर एक दीप
जब मुस्काएगा
कैसा भी हो घना तिमिर
छँट ही जाएगा
मायावी वृत्तियाँ स्वयम
भय से भागेंगी
वेद ऋचाएँ हर आँगन में
फिर जागेंगी
हर ड्यौढ़ी में खुशियों की
फूटें फुलझड़ियाँ
हम सब मिलकर
यूँ प्रकाश का पर्व मनाएँ