"यमराज की दिशा / चन्द्रकान्त देवताले" के अवतरणों में अंतर
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17:22, 15 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
माँ की इश्वर से मुलाकात हुई या नहीं
कहना मुश्किल है
पर वह जताती थी जैसे इश्वर से उसकी बातचीत होते रहती है
और उससे प्राप्त सलाहों के अनुसार
जिंदगी जीने और दुःख बर्दास्त करने का रास्ता खोज लेती है
माँ ने एक बार मुझसे कहा था
दक्षिण की तरफ़ पैर कर के मत सोना
वह मृत्यु की दिशा है
और यमराज को क्रुद्ध करना
बुद्धिमानी की बात नही है
तब मैं छोटा था
और मैंने यमराज के घर का पता पूछा था
उसने बताया था
तुम जहाँ भी हो वहाँ से हमेशा दक्षिण में
माँ की समझाइश के बाद
दक्षिण दिशा में पैर करके मैं कभी नही सोया
और इससे इतना फायदा जरुर हुआ
दक्षिण दिशा पहचानने में
मुझे कभी मुश्किल का सामना नही करना पड़ा
मैं दक्षिण में दूर-दूर तक गया
और हमेशा मुझे माँ याद आई
दक्षिण को लाँघ लेना सम्भव नहीं था
होता छोर तक पहुँच पाना
तो यमराज का घर देख लेता
पर आज जिधर पैर करके सोओं
वही दक्षिण दिशा हो जाती है
सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं
और वे सभी में एक साथ
अपनी दहकती आखों सहित विराजते हैं
माँ अब नही है
और यमराज की दिशा भी अब वह नहीं रही
जो माँ जानती थी