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"वसीयत / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार=गोपाल सिंह नेपाली
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16:11, 27 सितम्बर 2008 का अवतरण

मेरी छाती पर
हवाएं लिख जाती हैं
महीन रेखाओं में
अपनी वसीयत
और फिर हवाओं के झोंकों ही
वसीयतनामा उड़ाकर
कहीं और ले जाते हैं।

बहकी हवाओ !
वसीयत करने से पहले
हल्‍फ उठाना पड़ता है
कि वसीयत करने वाले के
होश-हवाश दुरूस्‍त हैं:
और तुम्‍हें इसके लिए
गवाह कौन मिलेगा
मेरे ही सिवा ?

क्‍या मेरी गवाही
तुम्‍हारी वसीयत से ज्‍यादा
टिकाऊ होगी ?