"भले दिनों की बात थी / फ़राज़" के अवतरणों में अंतर
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− | भली सी एक शक्ल थी | + | <poem> |
− | ना ये कि हुस्ने ताम हो | + | भले दिनों की बात थी |
− | ना देखने में आम सी | + | भली सी एक शक्ल थी |
+ | ना ये कि हुस्ने ताम हो | ||
+ | ना देखने में आम सी | ||
− | ना ये कि वो चले तो कहकशां सी रहगुजर लगे | + | ना ये कि वो चले तो कहकशां सी रहगुजर लगे |
− | मगर वो साथ हो तो फिर भला भला सफ़र लगे | + | मगर वो साथ हो तो फिर भला भला सफ़र लगे |
− | कोई भी रुत हो उसकी छब | + | कोई भी रुत हो उसकी छब |
− | फ़जा का रंग रूप थी | + | फ़जा का रंग रूप थी |
− | वो गर्मियों की छांव थी | + | वो गर्मियों की छांव थी |
− | वो सर्दियों की धूप थी | + | वो सर्दियों की धूप थी |
− | ना मुद्दतों जुदा रहे | + | ना मुद्दतों जुदा रहे |
− | ना साथ सुबहो शाम हो | + | ना साथ सुबहो शाम हो |
− | ना रिश्ता-ए-वफ़ा पे ज़िद | + | ना रिश्ता-ए-वफ़ा पे ज़िद |
− | ना ये कि इज्ने आम हो | + | ना ये कि इज्ने आम हो |
− | ना ऐसी खुश लिबासियां | + | ना ऐसी खुश लिबासियां |
− | कि सादगी हया करे | + | कि सादगी हया करे |
− | ना इतनी बेतकल्लुफ़ी | + | ना इतनी बेतकल्लुफ़ी |
− | की आईना हया करे | + | की आईना हया करे |
− | ना इखतिलात में वो रम | + | ना इखतिलात में वो रम |
− | कि बदमजा हो ख्वाहिशें | + | कि बदमजा हो ख्वाहिशें |
− | ना इस कदर सुपुर्दगी | + | ना इस कदर सुपुर्दगी |
− | कि ज़िच करे नवाजिशें | + | कि ज़िच करे नवाजिशें |
− | ना आशिकी ज़ुनून की | + | ना आशिकी ज़ुनून की |
− | कि ज़िन्दगी अजाब हो | + | कि ज़िन्दगी अजाब हो |
− | ना इस कदर कठोरपन | + | ना इस कदर कठोरपन |
− | कि दोस्ती खराब हो | + | कि दोस्ती खराब हो |
− | कभी तो बात भी खफ़ी | + | कभी तो बात भी खफ़ी |
− | कभी सुकूत भी सुखन | + | कभी सुकूत भी सुखन |
− | कभी तो किश्ते ज़ाफ़रां | + | कभी तो किश्ते ज़ाफ़रां |
− | कभी उदासियों का बन | + | कभी उदासियों का बन |
− | सुना है एक उम्र है | + | सुना है एक उम्र है |
− | मुआमलाते दिल की भी | + | मुआमलाते दिल की भी |
− | विसाले-जाँफ़िजा तो क्या | + | विसाले-जाँफ़िजा तो क्या |
− | फ़िराके-जाँ-गुसल की भी | + | फ़िराके-जाँ-गुसल की भी |
− | सो एक रोज क्या हुआ | + | सो एक रोज क्या हुआ |
− | वफ़ा पे बहस छिड़ गई | + | वफ़ा पे बहस छिड़ गई |
− | मैं इश्क को अमर कहूं | + | मैं इश्क को अमर कहूं |
− | वो मेरी ज़िद से चिढ़ गई | + | वो मेरी ज़िद से चिढ़ गई |
− | मैं इश्क का असीर था | + | मैं इश्क का असीर था |
− | वो इश्क को कफ़स कहे | + | वो इश्क को कफ़स कहे |
− | कि उम्र भर के साथ को | + | कि उम्र भर के साथ को |
− | वो बदतर अज़ हवस कहे | + | वो बदतर अज़ हवस कहे |
− | शजर हजर नहीं कि हम | + | शजर हजर नहीं कि हम |
− | हमेशा पा ब गिल रहें | + | हमेशा पा ब गिल रहें |
− | ना ढोर हैं कि रस्सियां | + | ना ढोर हैं कि रस्सियां |
− | गले में मुस्तकिल रहें | + | गले में मुस्तकिल रहें |
− | मोहब्बतें की वुसअतें | + | मोहब्बतें की वुसअतें |
− | हमारे दस्तो पा में हैं | + | हमारे दस्तो पा में हैं |
− | बस एक दर से निस्बतें | + | बस एक दर से निस्बतें |
− | सगाने-बावफ़ा में हैं | + | सगाने-बावफ़ा में हैं |
− | मैं कोई पेन्टिंग नहीं | + | मैं कोई पेन्टिंग नहीं |
− | कि एक फ़्रेम में रहूं | + | कि एक फ़्रेम में रहूं |
− | वही जो मन का मीत हो | + | वही जो मन का मीत हो |
− | उसी के प्रेम में रहूं | + | उसी के प्रेम में रहूं |
− | तुम्हारी सोच जो भी हो | + | तुम्हारी सोच जो भी हो |
− | मैं उस मिजाज की नहीं | + | मैं उस मिजाज की नहीं |
− | मुझे वफ़ा से बैर है | + | मुझे वफ़ा से बैर है |
− | ये बात आज की नहीं | + | ये बात आज की नहीं |
− | न उसको मुझपे मान था | + | न उसको मुझपे मान था |
− | न मुझको उसपे ज़ोम ही | + | न मुझको उसपे ज़ोम ही |
− | जो अहद ही कोई ना हो | + | जो अहद ही कोई ना हो |
− | तो क्या गमे शिकस्तगी | + | तो क्या गमे शिकस्तगी |
− | सो अपना अपना रास्ता | + | सो अपना अपना रास्ता |
− | हंसी खुशी बदल दिया | + | हंसी खुशी बदल दिया |
− | वो अपनी राह चल पड़ी | + | वो अपनी राह चल पड़ी |
− | मैं अपनी राह चल दिया | + | मैं अपनी राह चल दिया |
− | भली सी एक शक्ल थी | + | भली सी एक शक्ल थी |
− | भली सी उसकी दोस्ती | + | भली सी उसकी दोस्ती |
− | अब उसकी याद रात दिन | + | अब उसकी याद रात दिन |
− | नहीं, मगर कभी कभी | + | नहीं, मगर कभी कभी |
हुस्न ताम - पूरा शबाब, कहकशां - आकाशगंगा, इज्ने आम - सभी को इजाजत<br> | हुस्न ताम - पूरा शबाब, कहकशां - आकाशगंगा, इज्ने आम - सभी को इजाजत<br> | ||
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मुस्तकिल - लगातार, वुसअतें - लम्बाई, चौड़ाई, दस्तो-पा - हाथ, पैर, निस्बतें - संबन्ध<br> | मुस्तकिल - लगातार, वुसअतें - लम्बाई, चौड़ाई, दस्तो-पा - हाथ, पैर, निस्बतें - संबन्ध<br> | ||
सगाने-बावफ़ा - वफ़ादार कुत्ते, ज़ोम - गुमान, अहद - वचन बद्धता, गमे शिकस्तगी - टूटने का गम<br> | सगाने-बावफ़ा - वफ़ादार कुत्ते, ज़ोम - गुमान, अहद - वचन बद्धता, गमे शिकस्तगी - टूटने का गम<br> | ||
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20:38, 8 नवम्बर 2009 का अवतरण
भले दिनों की बात थी
भली सी एक शक्ल थी
ना ये कि हुस्ने ताम हो
ना देखने में आम सी
ना ये कि वो चले तो कहकशां सी रहगुजर लगे
मगर वो साथ हो तो फिर भला भला सफ़र लगे
कोई भी रुत हो उसकी छब
फ़जा का रंग रूप थी
वो गर्मियों की छांव थी
वो सर्दियों की धूप थी
ना मुद्दतों जुदा रहे
ना साथ सुबहो शाम हो
ना रिश्ता-ए-वफ़ा पे ज़िद
ना ये कि इज्ने आम हो
ना ऐसी खुश लिबासियां
कि सादगी हया करे
ना इतनी बेतकल्लुफ़ी
की आईना हया करे
ना इखतिलात में वो रम
कि बदमजा हो ख्वाहिशें
ना इस कदर सुपुर्दगी
कि ज़िच करे नवाजिशें
ना आशिकी ज़ुनून की
कि ज़िन्दगी अजाब हो
ना इस कदर कठोरपन
कि दोस्ती खराब हो
कभी तो बात भी खफ़ी
कभी सुकूत भी सुखन
कभी तो किश्ते ज़ाफ़रां
कभी उदासियों का बन
सुना है एक उम्र है
मुआमलाते दिल की भी
विसाले-जाँफ़िजा तो क्या
फ़िराके-जाँ-गुसल की भी
सो एक रोज क्या हुआ
वफ़ा पे बहस छिड़ गई
मैं इश्क को अमर कहूं
वो मेरी ज़िद से चिढ़ गई
मैं इश्क का असीर था
वो इश्क को कफ़स कहे
कि उम्र भर के साथ को
वो बदतर अज़ हवस कहे
शजर हजर नहीं कि हम
हमेशा पा ब गिल रहें
ना ढोर हैं कि रस्सियां
गले में मुस्तकिल रहें
मोहब्बतें की वुसअतें
हमारे दस्तो पा में हैं
बस एक दर से निस्बतें
सगाने-बावफ़ा में हैं
मैं कोई पेन्टिंग नहीं
कि एक फ़्रेम में रहूं
वही जो मन का मीत हो
उसी के प्रेम में रहूं
तुम्हारी सोच जो भी हो
मैं उस मिजाज की नहीं
मुझे वफ़ा से बैर है
ये बात आज की नहीं
न उसको मुझपे मान था
न मुझको उसपे ज़ोम ही
जो अहद ही कोई ना हो
तो क्या गमे शिकस्तगी
सो अपना अपना रास्ता
हंसी खुशी बदल दिया
वो अपनी राह चल पड़ी
मैं अपनी राह चल दिया
भली सी एक शक्ल थी
भली सी उसकी दोस्ती
अब उसकी याद रात दिन
नहीं, मगर कभी कभी
हुस्न ताम - पूरा शबाब, कहकशां - आकाशगंगा, इज्ने आम - सभी को इजाजत
हया - शर्म, इखतिलात - दोस्ती, रम - वहशत, खफ़ी - छिपी हुई, चुप्पी
किश्ते ज़ाफ़राँ - केसर की क्यारी, विसाले जाँफ़िजा - प्राणवर्धक मिलन,
फ़िराके जाँ गुसिल - प्राण घातक दूरी, असीर - कैदी, कफ़स - पिन्जरा, कैद खाना,
अज हवस - हवस से भी खराब, शजर - पेड, हजर - पत्थर, पा-ब-गिल - विवश
मुस्तकिल - लगातार, वुसअतें - लम्बाई, चौड़ाई, दस्तो-पा - हाथ, पैर, निस्बतें - संबन्ध
सगाने-बावफ़ा - वफ़ादार कुत्ते, ज़ोम - गुमान, अहद - वचन बद्धता, गमे शिकस्तगी - टूटने का गम