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"हमें भी पता है शहर जल रहा है / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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हमें भी पता है शहर जल रहा है
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जो बोया ज़हर था वो अब फल रहा है
  
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पलटकर वही अब हमें छल रहा है
  
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अगर साँप है तो कहीं और जाये
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मेरे आस्तीं में वो क्यों पल रहा है
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हज़ारों लुटेरे सदन में हैं बैठे
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क्यों बदनाम चम्बल का जंगल रहा है
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ग़मों की न बदली कभी सर पे छायी
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सहारा मेरी माँ का आँचल रहा है
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जिसे आप मिट्टी का बरतन समझते
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वही तो कुम्हारों का सम्बल रहा है
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कभी ऐसा पहले न देखा सुना था
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सियासत का जो दौर अब चल रहा है
 
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13:02, 16 नवम्बर 2020 के समय का अवतरण

हमें भी पता है शहर जल रहा है
जो बोया ज़हर था वो अब फल रहा है

हमारी बदौलत मिली उसको कुर्सी
पलटकर वही अब हमें छल रहा है

अगर साँप है तो कहीं और जाये
मेरे आस्तीं में वो क्यों पल रहा है

हज़ारों लुटेरे सदन में हैं बैठे
क्यों बदनाम चम्बल का जंगल रहा है

ग़मों की न बदली कभी सर पे छायी
सहारा मेरी माँ का आँचल रहा है

जिसे आप मिट्टी का बरतन समझते
वही तो कुम्हारों का सम्बल रहा है

कभी ऐसा पहले न देखा सुना था
सियासत का जो दौर अब चल रहा है