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प्यार:एक छाता / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
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04:41, 24 सितम्बर 2013
|रचनाकार = सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
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<poem>
विपदाएँ आते ही,
खुलकर तन जाता है
हटते ही
चुपचाप सिमट ढीला होता है;
वर्षा से बचकर
कोने में कहीं टिका दो,
प्यार एक छाता है
आश्रय देता है गीला होता है।
</poem>
Sharda suman
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