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"उजाला तुम्हीं / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर

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तुम्हीं बाती व नेह
 
तुम्हीं बाती व नेह
 
उजाला तुम्हीं।
 
उजाला तुम्हीं।
2
 
उष्ण चुम्बन
 
बूँद- बूँद दुःख पी
 
तृप्त हो मन।
 
3
 
हाथ तुम्हारे
 
लिख दूँ सर्व सुख
 
वश जो चले।
 
 
 
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14:46, 23 जून 2021 का अवतरण

1
मैं सिर्फ दीप
तुम्हीं बाती व नेह
उजाला तुम्हीं।