भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चिड़िया करती परिक्रमा / पारुल पुखराज" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पारुल पुखराज |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 17: | पंक्ति 17: | ||
अपनी | अपनी | ||
− | + | निगल गया | |
समग्र | समग्र | ||
घूँट-घूँट | घूँट-घूँट |
14:16, 16 जुलाई 2024 के समय का अवतरण
चिड़िया
करती परिक्रमा
धूप की
नहीं दिखती
टटोलने पर भी
मिलती नहीं
देह
अपनी
निगल गया
समग्र
घूँट-घूँट
देखने को
मेरे
देखने वाला