भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|रचनाकार=सुभाष काक
|संग्रह=मिट्टी का अनुराग / सुभाष काक
}}{{KKCatKavita}}<poem>
देश प्रेम कहां से उभरता है?
हमारे कूचे कीचड वाले थे
मैंने देश की
मिट्टी खाई।
यह देश मोह नहीं
मिट्टी का अनुराग है।
</poem>