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"जंगल का नायक / वैभव भारतीय" के अवतरणों में अंतर

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सब बदमाशी के क़िस्से हैं  
 
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जो शिकारियों ने लिक्खे हैं
 
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ये शिकार की छद्म कहानी
 
ये शिकार की छद्म कहानी
 
होती रेत है लगता पानी।
 
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जब तक सिंह नहीं सीखेगा  
 
जब तक सिंह नहीं सीखेगा  
 
क़िस्सागोई इस जंगल की
 
क़िस्सागोई इस जंगल की
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जब तक सिंह नहीं लिक्खेगा
 
जब तक सिंह नहीं लिक्खेगा
 
असल कहानी दावानल की
 
असल कहानी दावानल की

22:20, 29 मार्च 2024 के समय का अवतरण

किसने देखा रात का सूरज
किसे पड़ी है मन पढ़ने की
कौन वहाँ करता है शिरकत
जहां ज़रूरत है भिड़ने की ?

सबने क़िस्सा वही सुनाया
ख़ुद जिसमें नायक बन पाया
सब बदमाशी के क़िस्से हैं
जो शिकारियों ने लिक्खे हैं

ये शिकार की छद्म कहानी
होती रेत है लगता पानी।
जब तक सिंह नहीं सीखेगा
क़िस्सागोई इस जंगल की

जब तक सिंह नहीं लिक्खेगा
असल कहानी दावानल की
जंगल के हर इक क़िस्से में
नायक एक शिकारी होगा।