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महावरिष्ठ कवि / विचिस्लाव कुप्रियानफ़
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13:36, 19 सितम्बर 2024
अभी भी घसीट रहे हैं कविताएँ
मानो किसी को याद हो अब भी
प्रलयपूर्व
काल
की उनकी वह पुरानी भाषा
लेकिन हमारा समाज कल्याण विभाग
पूरी नज़र रखता है
अनिल जनविजय
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