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"जो तुम आ जाते एक बार / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर

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--ललित कुमार द्वारा प्रेषित

16:20, 6 जुलाई 2006 का अवतरण

लेखिका: महादेवी वर्मा

जो तुम आ जाते एक बार

कितनी करूणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग
गाता प्राणों का तार तार
अनुराग भरा उन्माद राग
आँसू लेते वे पथ पखार
जो तुम आ जाते एक बार

हंस उठते पल में आद्र नयन
धुल जाता होठों से विषाद
छा जाता जीवन में बसंत
लुट जाता चिर संचित विराग
आँखें देतीं सर्वस्व वार
जो तुम आ जाते एक बार

--ललित कुमार द्वारा प्रेषित