भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हम सुपारी-से / कुँअर बेचैन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो ("हम सुपारी-से / कुँअर बेचैन" सुरक्षित कर दिया: सुरक्षित कर दिया है [edit=sysop:move=sysop])
(कोई अंतर नहीं)

03:51, 4 जनवरी 2009 का अवतरण

दिन सरौता
हम सुपारी-से।

ज़िंदगी-है तश्तरी का पान
काल-घर जाता हुआ मेहमान

चार कंधों की
सवारी-से।

जन्म-अंकुर में बदलता बीज़
मृत्यु है कोई ख़रीदी चीज़

साँस वाली
रेजगारी-से।

बचपना-ज्यों सूर, कवि रसखान
है बुढ़ापा-रहिमना का ग्यान

दिन जवानी के
बिहारी-से।