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"सिंहस्थ हवा / श्रीनिवास श्रीकांत" के अवतरणों में अंतर
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बलिष्ठ सिंहनी हवा | बलिष्ठ सिंहनी हवा | ||
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दौडऩे लगी | दौडऩे लगी | ||
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मध्य पथ में डोलने लगी | मध्य पथ में डोलने लगी | ||
+ | सुन्दर पीली-पीली घास | ||
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फुर्तीली वह भाग रही थी | फुर्तीली वह भाग रही थी | ||
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अपने आसपास से बेबाक | अपने आसपास से बेबाक | ||
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भाग रहे थे | भाग रहे थे | ||
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उसके साथ साथ | उसके साथ साथ | ||
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उसके किशोर | उसके किशोर | ||
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मारुत-शावक् भी | मारुत-शावक् भी | ||
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पठार में झकझोर दिये थे | पठार में झकझोर दिये थे | ||
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उसने सभी | उसने सभी | ||
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कुलाँचों से डोल रहे थे | कुलाँचों से डोल रहे थे | ||
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बाँसों के आतंकित झुरमुट | बाँसों के आतंकित झुरमुट | ||
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बजने लगी थीं | बजने लगी थीं | ||
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मौसम की | मौसम की | ||
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मेहराबदार खिड़कियाँ भी | मेहराबदार खिड़कियाँ भी | ||
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एक बड़ा वन्य उद्यान था वह | एक बड़ा वन्य उद्यान था वह | ||
− | + | सिंहनी का नन्दन-कानन | |
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पठार में खुल रहा था | पठार में खुल रहा था | ||
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कुदरत का वह सुन्दर कालीन | कुदरत का वह सुन्दर कालीन | ||
− | + | ऐसी ख़ूबसूरत जाँबाज शेरनी | |
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बीहड़ में | बीहड़ में | ||
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मैंने पहली बार देखी | मैंने पहली बार देखी | ||
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घण्टों दौड़ती रही थी | घण्टों दौड़ती रही थी | ||
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चौगान में सरपट | चौगान में सरपट | ||
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वनबिलाव की वह | वनबिलाव की वह | ||
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चतुर मौसी। | चतुर मौसी। | ||
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03:10, 12 जनवरी 2009 का अवतरण
बलिष्ठ सिंहनी हवा
दौडऩे लगी
एकाकी शाद्वल में
मध्य पथ में डोलने लगी
सुन्दर पीली-पीली घास
पियानो रीड-सी नरकट
फुर्तीली वह भाग रही थी
अपने आसपास से बेबाक
भाग रहे थे
उसके साथ साथ
उसके किशोर
मारुत-शावक् भी
पठार में झकझोर दिये थे
उसने सभी
तीरन्दाज़ दरख़्त
कुलाँचों से डोल रहे थे
बाँसों के आतंकित झुरमुट
बजने लगी थीं
मौसम की
मेहराबदार खिड़कियाँ भी
एक बड़ा वन्य उद्यान था वह
सिंहनी का नन्दन-कानन
पठार में खुल रहा था
कुदरत का वह सुन्दर कालीन
ऐसी ख़ूबसूरत जाँबाज शेरनी
बीहड़ में
मैंने पहली बार देखी
घण्टों दौड़ती रही थी
चौगान में सरपट
वनबिलाव की वह
चतुर मौसी।