भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"चील / तुलसी रमण" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो ("चील / तुलसी रमण" सुरक्षित कर दिया [edit=sysop:move=sysop])
 
(कोई अंतर नहीं)

04:27, 14 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

आसमान में उड़ती
चील की झोली में
अनगिनत मुट्ठियाँ रेत है
जमीन पर फले
कबूतरों के लिए
जिस छोर से भी
फड़फड़ाते हैं पंख
एक मुट्ठी रेत
   फेंक देती है चील
और व्यस्त हो जाते हैं कबूतर
दाना–दाना खोजने में

चील की इस चाल पर
जब सिर उठाते हैं कबूतर
चील छेड़ देती है मल्हार
सावन के अंधों के लिए
ज्यों–ज्यों बदलते हैं मौसम
चील बदल देती है राग
खाली पेट कहीं शुरू होता है तांडव
कहीं नंगे तन भरत–नाट्यम्
और कहीं रणबाँकुरे करने लगते अभ्यास
पहाड़ से समुद्र तक
फैली जमीन पर
कबूतरों की गुटरगूँ
और चील का राग है
बहुत कम दिखाई पड़ते हैं
डफलियाँ लिए वे कुछ हाथ
जिनका अपना–अपना राग है