भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बरसों के बाद कभी / गिरिजाकुमार माथुर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
छो |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
बरसों के बाद कभी<br> | बरसों के बाद कभी<br> | ||
− | + | हम तुम यदि मिलें कहीं,<br> | |
देखें कुछ परिचित से,<br> | देखें कुछ परिचित से,<br> | ||
लेकिन पहिचानें ना।<br><br> | लेकिन पहिचानें ना।<br><br> | ||
पंक्ति 12: | पंक्ति 12: | ||
याद भी न आये नाम,<br> | याद भी न आये नाम,<br> | ||
रूप, रंग, काम, धाम,<br> | रूप, रंग, काम, धाम,<br> | ||
− | सोचें,यह | + | सोचें,यह सम्भव है -<br> |
पर, मन में मानें ना।<br><br> | पर, मन में मानें ना।<br><br> | ||
18:40, 8 सितम्बर 2006 का अवतरण
कवि: गिरिजाकुमार माथुर
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
बरसों के बाद कभी
हम तुम यदि मिलें कहीं,
देखें कुछ परिचित से,
लेकिन पहिचानें ना।
याद भी न आये नाम,
रूप, रंग, काम, धाम,
सोचें,यह सम्भव है -
पर, मन में मानें ना।
हो न याद, एक बार
आया तूफान, ज्वार
बंद, मिटे पृष्ठों को -
पढ़ने की ठाने ना।
बातें जो साथ हुई,
बातों के साथ गयीं,
आँखें जो मिली रहीं -
उनको भी जानें ना।