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"न वन में न मन में / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर

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17:07, 23 जनवरी 2009 का अवतरण

बारिश बरसी
धूप भी चमकी
फिर भी वह सतरंगा जादू
न वन में
न मन में

कभी सफेद
कभी काले वन
तिरछे चले प्यादे
राजा और वजीर के मारे
हम हारे
इस रण में

नीले, पीले, लाल हरों ने
ऐसे खेल दिखाए
बस हम कैदी बनकर रह गए
अपने ही
उपवन में

अम्बर के दूजे कोने पर
इन्द्र्धनुष तो निकला
फिर भी वह बेचारा गिरकर
टूट गया
आँगन में