भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हाशिये पर बैठे कवि की कविता- गिरधर राठी के नाम / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो ()
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
 
|रचनाकार=अवतार एनगिल
 
|रचनाकार=अवतार एनगिल
 
|संग्रह=एक और दिन / अवतार एनगिल
 
|संग्रह=एक और दिन / अवतार एनगिल
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
 
(आपतकाल में गिरघर राठी डी. आई. आर. और मीसा के तहत तिहाड़ में कैद रहा। इस बीच लिखी उसकी कविताएँ बाहर-भीतर नामक कविता संग्रह में 1979 में प्रकाशित हुई। ‘तिहाड़ दृष्य’ के नाम से लिखी गई पाँच छोटी कविताएँ हाशिए पर बैठे इस कवि ने भी पढ़ीं और हाशिए पर ही एक कविता लिख दी। एक चौथाई सदी के अंतराल के पश्चात यह कायर कवि उसे गिरथर राठी को समर्पित कर रहा है।)  
 
(आपतकाल में गिरघर राठी डी. आई. आर. और मीसा के तहत तिहाड़ में कैद रहा। इस बीच लिखी उसकी कविताएँ बाहर-भीतर नामक कविता संग्रह में 1979 में प्रकाशित हुई। ‘तिहाड़ दृष्य’ के नाम से लिखी गई पाँच छोटी कविताएँ हाशिए पर बैठे इस कवि ने भी पढ़ीं और हाशिए पर ही एक कविता लिख दी। एक चौथाई सदी के अंतराल के पश्चात यह कायर कवि उसे गिरथर राठी को समर्पित कर रहा है।)  

22:09, 6 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

(आपतकाल में गिरघर राठी डी. आई. आर. और मीसा के तहत तिहाड़ में कैद रहा। इस बीच लिखी उसकी कविताएँ बाहर-भीतर नामक कविता संग्रह में 1979 में प्रकाशित हुई। ‘तिहाड़ दृष्य’ के नाम से लिखी गई पाँच छोटी कविताएँ हाशिए पर बैठे इस कवि ने भी पढ़ीं और हाशिए पर ही एक कविता लिख दी। एक चौथाई सदी के अंतराल के पश्चात यह कायर कवि उसे गिरथर राठी को समर्पित कर रहा है।)

पता नहीं मुझे
कैसी है तिहाड़
तो भी
सोचता हूं
कि कैसे
धूप,धुंध और हवा
“चूना पत्थर और कंकरीट”
बन जाते हैं—
दीवार

दीवार-दर-दीवार
देश है तिहाड़।