भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ऐ मेरे वतन के लोगों / प्रदीप" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार = प्रदीप
 
|रचनाकार = प्रदीप
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatNavgeet}}
 +
<poem>
 +
ऐ मेरे वतन के लोगों
 +
तुम खूब लगा लो नारा
 +
ये शुभ दिन है हम सब का
 +
लहरा लो तिरंगा प्यारा
 +
पर मत भूलो सीमा पर
 +
वीरों ने है प्राण गँवाए
 +
कुछ याद उन्हें भी कर लो -२
 +
जो लौट के घर न आये -२
  
ऐ मेरे वतन के लोगों<br>
+
ऐ मेरे वतन के लोगों
तुम खूब लगा लो नारा<br>
+
ज़रा आँख में भर लो पानी
ये शुभ दिन है हम सब का<br>
+
जो शहीद हुए हैं उनकी
लहरा लो तिरंगा प्यारा<br>
+
ज़रा याद करो क़ुरबानी
पर मत भूलो सीमा पर<br>
+
वीरों ने है प्राण गँवाए<br>
+
कुछ याद उन्हें भी कर लो -२<br>
+
जो लौट के घर न आये -२<br> <br>
+
  
ऐ मेरे वतन के लोगों<br>
+
जब घायल हुआ हिमालय
ज़रा आँख में भर लो पानी<br>
+
खतरे में पड़ी आज़ादी
जो शहीद हुए हैं उनकी<br>
+
जब तक थी साँस लड़े वो
ज़रा याद करो क़ुरबानी<br> <br>
+
फिर अपनी लाश बिछा दी
 +
संगीन पे धर कर माथा
 +
सो गये अमर बलिदानी
 +
जो शहीद हुए हैं उनकी
 +
ज़रा याद करो क़ुरबानी
  
जब घायल हुआ हिमालय<br>
+
जब देश में थी दीवाली
खतरे में पड़ी आज़ादी<br>
+
वो खेल रहे थे होली
जब तक थी साँस लड़े वो<br>
+
जब हम बैठे थे घरों में
फिर अपनी लाश बिछा दी<br>
+
वो झेल रहे थे गोली
संगीन पे धर कर माथा<br>
+
थे धन्य जवान वो आपने
सो गये अमर बलिदानी<br>
+
थी धन्य वो उनकी जवानी
जो शहीद हुए हैं उनकी<br>
+
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी<br><br>
+
ज़रा याद करो क़ुरबानी
  
जब देश में थी दीवाली<br>
+
कोई सिख कोई जाट मराठा
वो खेल रहे थे होली<br>
+
कोई गुरखा कोई मदरासी
जब हम बैठे थे घरों में<br>
+
सरहद पर मरनेवाला
वो झेल रहे थे गोली<br>
+
हर वीर था भारतवासी
थे धन्य जवान वो आपने<br>
+
जो खून गिरा पर्वत पर
थी धन्य वो उनकी जवानी<br>
+
वो खून था हिंदुस्तानी
जो शहीद हुए हैं उनकी<br>
+
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी<br><br>
+
ज़रा याद करो क़ुरबानी
  
कोई सिख कोई जाट मराठा<br>
+
थी खून से लथ-पथ काया
कोई गुरखा कोई मदरासी<br>
+
फिर भी बन्दूक उठाके
सरहद पर मरनेवाला<br>
+
दस-दस को एक ने मारा
हर वीर था भारतवासी<br>
+
फिर गिर गये होश गँवा के
जो खून गिरा पर्वअत पर<br>
+
जब अन्त-समय आया तो
वो खून था हिंदुस्तानी<br>
+
कह गये के अब मरते हैं
जो शहीद हुए हैं उनकी<br>
+
खुश रहना देश के प्यारों
ज़रा याद करो क़ुरबानी<br> <br>
+
अब हम तो सफ़र करते हैं
 +
क्या लोग थे वो दीवाने
 +
क्या लोग थे वो अभिमानी
 +
जो शहीद हुए हैं उनकी
 +
ज़रा याद करो क़ुरबानी
  
थी खून से लथ-पथ काया<br>
+
तुम भूल न जाओ उनको
फिर भी बन्दूक उठाके<br>
+
इसलिये कही ये कहानी
दस-दस को एक ने मारा<br>
+
जो शहीद हुए हैं उनकी
फिर गिर गये होश गँवा के<br>
+
ज़रा याद करो क़ुरबानी
जब अन्त-समय आया तो<br>
+
कह गये के अब मरते हैं<br>
+
खुश रहना देश के प्यारों<br>
+
अब हम तो सफ़र करते हैं<br>
+
क्या लोग थे वो दीवाने<br>
+
क्या लोग थे वो अभिमानी<br>
+
जो शहीद हुए हैं उनकी<br>
+
ज़रा याद करो क़ुरबानी<br> <br>
+
 
+
तुम भूल न जाओ उनको<br>
+
इस लिये कही ये कहानी<br>
+
जो शहीद हुए हैं उनकी<br>
+
ज़रा याद करो क़ुरबानी<br> <br>
+
  
 
जय हिन्द...
 
जय हिन्द...
जय हिन्द की सेना -२<br>
+
जय हिन्द की सेना -२
जय हिन्द, जय हिन्द, जय हिन्द<br> <br>
+
जय हिन्द, जय हिन्द, जय हिन्द
 +
 
 +
</poem>

16:41, 30 अगस्त 2009 का अवतरण

ऐ मेरे वतन के लोगों
तुम खूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन है हम सब का
लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर
वीरों ने है प्राण गँवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो -२
जो लौट के घर न आये -२

ऐ मेरे वतन के लोगों
ज़रा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी

जब घायल हुआ हिमालय
खतरे में पड़ी आज़ादी
जब तक थी साँस लड़े वो
फिर अपनी लाश बिछा दी
संगीन पे धर कर माथा
सो गये अमर बलिदानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी

जब देश में थी दीवाली
वो खेल रहे थे होली
जब हम बैठे थे घरों में
वो झेल रहे थे गोली
थे धन्य जवान वो आपने
थी धन्य वो उनकी जवानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी

कोई सिख कोई जाट मराठा
कोई गुरखा कोई मदरासी
सरहद पर मरनेवाला
हर वीर था भारतवासी
जो खून गिरा पर्वत पर
वो खून था हिंदुस्तानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी

थी खून से लथ-पथ काया
फिर भी बन्दूक उठाके
दस-दस को एक ने मारा
फिर गिर गये होश गँवा के
जब अन्त-समय आया तो
कह गये के अब मरते हैं
खुश रहना देश के प्यारों
अब हम तो सफ़र करते हैं
क्या लोग थे वो दीवाने
क्या लोग थे वो अभिमानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी

तुम भूल न जाओ उनको
इसलिये कही ये कहानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी

जय हिन्द...
जय हिन्द की सेना -२
जय हिन्द, जय हिन्द, जय हिन्द