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"यह अग्निकिरीटी मस्तक / केदारनाथ सिंह" के अवतरणों में अंतर
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सब चेहरों पर सन्नाटा | सब चेहरों पर सन्नाटा | ||
हर दिल में पड़ता काँटा | हर दिल में पड़ता काँटा | ||
− | हर घर में | + | हर घर में गीला आँटा |
− | वह क्यों होता है? | + | वह क्यों होता है ? |
जीने की जो कोशिश है | जीने की जो कोशिश है | ||
जीने में यह जो विष है | जीने में यह जो विष है | ||
साँसों में भरी कशिश है | साँसों में भरी कशिश है | ||
− | इसका क्या | + | इसका क्या करिए ? |
कुछ लोग खेत बोते हैं | कुछ लोग खेत बोते हैं | ||
कुछ चट्टानें ढोते हैं | कुछ चट्टानें ढोते हैं | ||
कुछ लोग सिर्फ़ होते हैं | कुछ लोग सिर्फ़ होते हैं | ||
− | इसका क्या मतलब? | + | इसका क्या मतलब ? |
मेरा पथराया कन्धा | मेरा पथराया कन्धा | ||
जो है सदियों से अन्धा | जो है सदियों से अन्धा | ||
जो खोज चुका हर धन्धा | जो खोज चुका हर धन्धा | ||
− | क्यों चुप रहता है? | + | क्यों चुप रहता है ? |
यह अग्निकिरीटी मस्तक | यह अग्निकिरीटी मस्तक | ||
जो है मेरे कन्धों पर | जो है मेरे कन्धों पर | ||
− | यह | + | यह ज़िन्दा भारी पत्थर |
− | इसका क्या होगा? | + | इसका क्या होगा ? |
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09:27, 25 अप्रैल 2019 के समय का अवतरण
सब चेहरों पर सन्नाटा
हर दिल में पड़ता काँटा
हर घर में गीला आँटा
वह क्यों होता है ?
जीने की जो कोशिश है
जीने में यह जो विष है
साँसों में भरी कशिश है
इसका क्या करिए ?
कुछ लोग खेत बोते हैं
कुछ चट्टानें ढोते हैं
कुछ लोग सिर्फ़ होते हैं
इसका क्या मतलब ?
मेरा पथराया कन्धा
जो है सदियों से अन्धा
जो खोज चुका हर धन्धा
क्यों चुप रहता है ?
यह अग्निकिरीटी मस्तक
जो है मेरे कन्धों पर
यह ज़िन्दा भारी पत्थर
इसका क्या होगा ?