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"हमारा दिल / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर
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चराग़ों की तरह आँखें जलें, जब शाम हो जाए | चराग़ों की तरह आँखें जलें, जब शाम हो जाए | ||
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कोई मासूम क्यों मेरे लिए, बदनाम हो जाए | कोई मासूम क्यों मेरे लिए, बदनाम हो जाए | ||
17:47, 7 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
हमारा दिल सवेरे का सुनहरा जाम हो जाए
चराग़ों की तरह आँखें जलें, जब शाम हो जाए
मैं ख़ुद भी एहतियातन, उस गली से कम गुजरता हूँ
कोई मासूम क्यों मेरे लिए, बदनाम हो जाए
अजब हालात थे, यूँ दिल का सौदा हो गया आख़िर
मुहब्बत की हवेली जिस तरह नीलाम हो जाए
समन्दर के सफ़र में इस तरह आवाज़ दो हमको
हवायें तेज़ हों और कश्तियों में शाम हो जाए
मुझे मालूम है उसका ठिकाना फिर कहाँ होगा
परिंदा आस्माँ छूने में जब नाकाम हो जाए
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में, ज़िंदगी की शाम हो जाए