भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पुनर्लेखन की कोशिश / येव्गेनी येव्तुशेंको" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=येव्गेनी येव्तुशेंको |संग्रह=धूप खिली थी और रि...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 17: | पंक्ति 17: | ||
जो कभी आया नहीं इस धरती पर | जो कभी आया नहीं इस धरती पर | ||
और शायद कभी आ भी नहीं सकता | और शायद कभी आ भी नहीं सकता | ||
+ | |||
+ | |||
+ | '''मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय | ||
</poem> | </poem> |
20:43, 18 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण
जो
रक्त से लिखा है
पुनः लिखना कठिन है
कोरे काग़ज़ पर भी
किसी को भी इससे कोई फ़ायदा नहीं होगा
मैं
अन्तिम कवि हूँ
उस कम्युनिज़्म का
जो कभी आया नहीं इस धरती पर
और शायद कभी आ भी नहीं सकता
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय