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"वह छुअन / आलोक श्रीवास्तव-२" के अवतरणों में अंतर
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तुम्हारी अंगुलियों का | तुम्हारी अंगुलियों का |
14:43, 27 फ़रवरी 2009 का अवतरण
कनेर के उन फूलों पर
तुम्हारी अंगुलियों का
वह सकुचाया-सा स्पर्श
मिटा नहीं
अनंतजीवी हो उठा
हर कनेर पर
वह हल्की छुअन
मुझे लिखी मिली है …