भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"उपसंहार / ब्रज श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ब्रज श्रीवास्तव |संग्रह= }} <Poem> ओले गिरने के बाद क...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
<Poem> | <Poem> | ||
ओले गिरने के बाद की शाम है ये | ओले गिरने के बाद की शाम है ये |
11:18, 21 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण
ओले गिरने के बाद की शाम है ये
इसमें बहुत अप्रिय-सी ठंडक है
अभी तक विदा नहीं हुई वह दुर्गन्ध
जो दोपहर में फैल गई थी
जो फ़सलों को कुचल रही थी
अपने वज़नदार पैरों से
बरसात बन्द नहीं हुई पूरी तरह
जो बदलती जा रही है
किसानों की आँखों की टपटप में
एकदम आ गया अंत
इतने दिनों से बढ़ रही उम्मीद का
समय से जुड़े कुछ अवसाद के मुहावरे
टहलने लग गए
दूधवाले का रुंआसा चेहरा
आज के दिन का उपसंहार हुआ