जब निकट होगा तुम्हारा बिन बुलाया अंत<br>
आ रहा होगा विगत सुस्पष्ट तुमको याद<br>
मन तुम्हारा स्वस्थ होगा बहु-दिनो दिनों के बाद<br>
टंग गयी होंगी तुम्हारी पुतलियाँ निर्धूम<br>
ऐंठती होगी तुम्हारी जीभ मुँह में घूम<br>
कुछ कहोगे उस समय कोई सुसज्जित बात<br>
या कहोगे - बीत जाने दो ना ये भी रात<br><br>