"बेटे पर तीन गीत / यश मालवीय" के अवतरणों में अंतर
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− | + | जन्मदिन बेटे तुम्हारा ! | |
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साथ लाया नया सूरज | साथ लाया नया सूरज | ||
और बीता कल हमारा | और बीता कल हमारा | ||
आज पंद्रह साल पीछे | आज पंद्रह साल पीछे | ||
देर तक देखा निहारा | देर तक देखा निहारा | ||
− | जन्मदिन बेटे तुम्हारा | + | जन्मदिन बेटे तुम्हारा ! |
तुम दुधाइन गन्ध से गेहूँ हुए | तुम दुधाइन गन्ध से गेहूँ हुए | ||
− | कस रही सी देह की | + | कस रही-सी देह की ख़ुशबू हुए |
− | भीगती सी मसें चेहरे पर उगीं | + | भीगती-सी मसें चेहरे पर उगीं |
− | टिमटिमाती | + | टिमटिमाती आँख में जुगनू हुए |
− | + | ||
+ | पर हमारे ख़ून ने ही | ||
हमें बिन बोले पुकारा | हमें बिन बोले पुकारा | ||
− | उठी गंगा की लहर सी | + | उठी गंगा की लहर-सी |
झिलमिलाती भावधारा | झिलमिलाती भावधारा | ||
जन्मदिन बेटे तुम्हारा | जन्मदिन बेटे तुम्हारा | ||
+ | |||
एक भाई घर कि इक बाहर खिला | एक भाई घर कि इक बाहर खिला | ||
पीढ़ियों तक रोशनी का सिलसिला | पीढ़ियों तक रोशनी का सिलसिला | ||
बहन चम्पा सी हँसी दालान में | बहन चम्पा सी हँसी दालान में | ||
क्यों न गहरा दुख उठे फिर तिलमिला | क्यों न गहरा दुख उठे फिर तिलमिला | ||
+ | |||
एक झोंका उठा पल भर | एक झोंका उठा पल भर | ||
हुआ बरगद भी उधारा | हुआ बरगद भी उधारा | ||
मन हुआ फिर मिले हमको | मन हुआ फिर मिले हमको | ||
− | + | ज़िन्दगी अपनी दुबारा | |
जन्म दिन बेटे तुम्हारा | जन्म दिन बेटे तुम्हारा | ||
माँ तुम्हारी खीर सी महकी फिरी | माँ तुम्हारी खीर सी महकी फिरी | ||
हुई दादी बीच हलुए के, गरी | हुई दादी बीच हलुए के, गरी | ||
− | लगी करने याद बाबा को | + | लगी करने याद बाबा को ज़रा |
− | मन भरा तो | + | मन भरा तो आँख भी थोड़ी भरी |
− | नाव जैसे पा | + | |
− | + | नाव जैसे पा गई फिर | |
− | सजी टोली की | + | भँवर में खोया किनारा |
+ | सजी टोली की दुआएँ | ||
टँका अक्षत का सितारा | टँका अक्षत का सितारा | ||
जन्म दिन बेटे तुम्हारा | जन्म दिन बेटे तुम्हारा | ||
पंक्ति 46: | पंक्ति 49: | ||
बहुत कुछ याद आता है | बहुत कुछ याद आता है | ||
बहुत कुछ भूल जाता है | बहुत कुछ भूल जाता है | ||
− | + | टिंफ़िन लेकर हमारा लाड़ला | |
स्कूल जाता है | स्कूल जाता है | ||
पंक्ति 60: | पंक्ति 63: | ||
हुँकारी भर रहा मौसम | हुँकारी भर रहा मौसम | ||
कहानी याद होती है | कहानी याद होती है | ||
− | + | दुआएँ साथ देती हैं | |
− | कि मन फल फूल जाता है | + | कि मन फल-फूल जाता है |
तुम्हारी बोलियों में | तुम्हारी बोलियों में | ||
भोर की चिड़िया चहकती है | भोर की चिड़िया चहकती है | ||
पुरानी डायरी में | पुरानी डायरी में | ||
− | एक कविता सी महकती है | + | एक कविता-सी महकती है |
लहर में नाव के सँग | लहर में नाव के सँग | ||
गीत का मस्तूल जाता है | गीत का मस्तूल जाता है | ||
(3) | (3) | ||
− | + | ||
बहुत दिनों पर घर आए हो | बहुत दिनों पर घर आए हो | ||
− | बेटे कैसे हो? | + | बेटे कैसे हो ? |
चलने फिरने में, दिखने में | चलने फिरने में, दिखने में | ||
− | मेरे जैसे हो! | + | मेरे जैसे हो ! |
+ | |||
मेरे बाद तुम्हें रहना है | मेरे बाद तुम्हें रहना है | ||
दुनिया जीनी है | दुनिया जीनी है | ||
पंक्ति 80: | पंक्ति 84: | ||
कड़ुवाहट पीनी है | कड़ुवाहट पीनी है | ||
आने वाला कल हो फिर भी | आने वाला कल हो फिर भी | ||
− | लगते तय से हो! | + | लगते तय से हो ! |
+ | |||
राजपाट देखना, | राजपाट देखना, | ||
− | समझना | + | समझना ज़िम्मेदारी भी |
आने लगीं समझ तुमको | आने लगीं समझ तुमको | ||
− | हारी बीमारी भी | + | हारी-बीमारी भी |
देखो तो आइना, जान लो | देखो तो आइना, जान लो | ||
− | कैसे, ऐसे हो! | + | कैसे, ऐसे हो ! |
+ | |||
वैसे ही बोलते, बात करते | वैसे ही बोलते, बात करते | ||
हँस देते हो | हँस देते हो | ||
− | बात बात पर वैसे ही | + | बात-बात पर वैसे ही |
जुमले कस देते हो | जुमले कस देते हो | ||
मैं अब तक जैसा था | मैं अब तक जैसा था | ||
− | तुम भी बिल्कुल वैसे हो! | + | तुम भी बिल्कुल वैसे हो ! |
+ | |||
अपनी आदत की मत पूछो | अपनी आदत की मत पूछो | ||
अचरज होता है | अचरज होता है | ||
− | सूरज का वंशज भी | + | सूरज का वंशज भी आख़िर |
सूरा होता है | सूरा होता है | ||
बँधी नोट से बँधे, | बँधी नोट से बँधे, | ||
− | खुले तो फुटकर पैसे हो! | + | खुले तो फुटकर पैसे हो ! |
+ | |||
दुखते हुए घाव, | दुखते हुए घाव, | ||
− | यात्रा के | + | यात्रा के क़िस्से कहते हैं |
पाँव तुम्हारे अब मेरे | पाँव तुम्हारे अब मेरे | ||
जूतों में रहते हैं | जूतों में रहते हैं | ||
कहीं पराजय और कहीं | कहीं पराजय और कहीं | ||
− | अपनी ही जय से हो! | + | अपनी ही जय से हो ! |
+ | |||
अलग तरह से जीने की | अलग तरह से जीने की | ||
− | + | तरक़ीबें गुनते हो | |
सुख मिलता जब अपनी अलग | सुख मिलता जब अपनी अलग | ||
राह भी चुनते हो | राह भी चुनते हो | ||
− | + | बाक़ायदा ठसक से हो | |
− | कब जैसे तैसे हो! | + | कब जैसे तैसे हो ! |
15:28, 4 अगस्त 2012 के समय का अवतरण
(1)
जन्मदिन बेटे तुम्हारा !
साथ लाया नया सूरज
और बीता कल हमारा
आज पंद्रह साल पीछे
देर तक देखा निहारा
जन्मदिन बेटे तुम्हारा !
तुम दुधाइन गन्ध से गेहूँ हुए
कस रही-सी देह की ख़ुशबू हुए
भीगती-सी मसें चेहरे पर उगीं
टिमटिमाती आँख में जुगनू हुए
पर हमारे ख़ून ने ही
हमें बिन बोले पुकारा
उठी गंगा की लहर-सी
झिलमिलाती भावधारा
जन्मदिन बेटे तुम्हारा
एक भाई घर कि इक बाहर खिला
पीढ़ियों तक रोशनी का सिलसिला
बहन चम्पा सी हँसी दालान में
क्यों न गहरा दुख उठे फिर तिलमिला
एक झोंका उठा पल भर
हुआ बरगद भी उधारा
मन हुआ फिर मिले हमको
ज़िन्दगी अपनी दुबारा
जन्म दिन बेटे तुम्हारा
माँ तुम्हारी खीर सी महकी फिरी
हुई दादी बीच हलुए के, गरी
लगी करने याद बाबा को ज़रा
मन भरा तो आँख भी थोड़ी भरी
नाव जैसे पा गई फिर
भँवर में खोया किनारा
सजी टोली की दुआएँ
टँका अक्षत का सितारा
जन्म दिन बेटे तुम्हारा
(2)
हमारा लाड़ला स्कूल जाता है
बहुत कुछ याद आता है
बहुत कुछ भूल जाता है
टिंफ़िन लेकर हमारा लाड़ला
स्कूल जाता है
कि तुमसे ही सुबह होती
कि तुमसे शाम होती है
कि सारी सल्तनत जैसे
हमारे नाम होती है
तुम्हारी बाँह से झोंका हवा का
झूल जाता है
तुम्हारे हाथ की रोटी
समय का स्वाद होती है
हुँकारी भर रहा मौसम
कहानी याद होती है
दुआएँ साथ देती हैं
कि मन फल-फूल जाता है
तुम्हारी बोलियों में
भोर की चिड़िया चहकती है
पुरानी डायरी में
एक कविता-सी महकती है
लहर में नाव के सँग
गीत का मस्तूल जाता है
(3)
बहुत दिनों पर घर आए हो
बेटे कैसे हो ?
चलने फिरने में, दिखने में
मेरे जैसे हो !
मेरे बाद तुम्हें रहना है
दुनिया जीनी है
हर मिठास के साथ जुड़ी
कड़ुवाहट पीनी है
आने वाला कल हो फिर भी
लगते तय से हो !
राजपाट देखना,
समझना ज़िम्मेदारी भी
आने लगीं समझ तुमको
हारी-बीमारी भी
देखो तो आइना, जान लो
कैसे, ऐसे हो !
वैसे ही बोलते, बात करते
हँस देते हो
बात-बात पर वैसे ही
जुमले कस देते हो
मैं अब तक जैसा था
तुम भी बिल्कुल वैसे हो !
अपनी आदत की मत पूछो
अचरज होता है
सूरज का वंशज भी आख़िर
सूरा होता है
बँधी नोट से बँधे,
खुले तो फुटकर पैसे हो !
दुखते हुए घाव,
यात्रा के क़िस्से कहते हैं
पाँव तुम्हारे अब मेरे
जूतों में रहते हैं
कहीं पराजय और कहीं
अपनी ही जय से हो !
अलग तरह से जीने की
तरक़ीबें गुनते हो
सुख मिलता जब अपनी अलग
राह भी चुनते हो
बाक़ायदा ठसक से हो
कब जैसे तैसे हो !