भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कह-मुकरियाँ / अमीर खुसरो" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
  
 
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
 
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
 +
 +
<br>
 
१.<br>
 
१.<br>
 
खा गया पी गया <br>
 
खा गया पी गया <br>
 
दे गया बुत्ता <br>
 
दे गया बुत्ता <br>
 
ऐ सखि साजन? <br>
 
ऐ सखि साजन? <br>
ना सखि कुत्ता <br><br>
+
ना सखि कुत्ता! <br><br>
  
 
२.<br>
 
२.<br>
पंक्ति 20: पंक्ति 22:
 
भोर भये वह घर उठि जावे <br>
 
भोर भये वह घर उठि जावे <br>
 
यह अचरज है सबसे न्यारा <br>  
 
यह अचरज है सबसे न्यारा <br>  
ऐ सखि साजन? ना सखि तारा <br><br>
+
ऐ सखि साजन? ना सखि तारा! <br><br>
  
 
४.<br>
 
४.<br>
पंक्ति 26: पंक्ति 28:
 
पाँव से मिट्टी लगन नहिं देत<br>
 
पाँव से मिट्टी लगन नहिं देत<br>
 
पाँव का चूमा लेत निपूता <br>
 
पाँव का चूमा लेत निपूता <br>
ऐ सखि साजन? ना सखि जूता <br>
+
ऐ सखि साजन? ना सखि जूता! <br>
  
 
५.<br>
 
५.<br>
पंक्ति 38: पंक्ति 40:
 
मेरे मन की तपन बुझावे <br>
 
मेरे मन की तपन बुझावे <br>
 
मन का भारी तन का छोटा <br>
 
मन का भारी तन का छोटा <br>
ऐ सखि साजन? ना सखि लोटा <br><br>
+
ऐ सखि साजन? ना सखि लोटा! <br><br>
  
 
७.<br>
 
७.<br>
पंक्ति 50: पंक्ति 52:
 
ना जागूँ तो काटे खावे <br>
 
ना जागूँ तो काटे खावे <br>
 
व्याकुल हुई मैं हक्की बक्की <br>
 
व्याकुल हुई मैं हक्की बक्की <br>
ऐ सखि साजन? ना सखि मक्खी <br><br>
+
ऐ सखि साजन? ना सखि मक्खी! <br><br>
  
 
९.<br>
 
९.<br>
पंक्ति 56: पंक्ति 58:
 
है गुणवंत बहुत चटकीलो<br>
 
है गुणवंत बहुत चटकीलो<br>
 
राम भजन बिन कभी न सोता <br>
 
राम भजन बिन कभी न सोता <br>
ऐ सखि साजन? ना सखि तोता <br><br>
+
ऐ सखि साजन? ना सखि तोता! <br><br>
  
 
१०.<br>
 
१०.<br>
पंक्ति 68: पंक्ति 70:
 
सुंदरता बरने कवि कौन <br>
 
सुंदरता बरने कवि कौन <br>
 
निरखत ही मन भयो अनंद<br>
 
निरखत ही मन भयो अनंद<br>
ऐ सखि साजन? ना सखि चंद<br><br>
+
ऐ सखि साजन? ना सखि चंद!<br><br>
  
 
१२.<br>
 
१२.<br>
पंक्ति 74: पंक्ति 76:
 
आँखिन से छिन होत न न्यारा <br>
 
आँखिन से छिन होत न न्यारा <br>
 
आठ पहर मेरो मनरंजन<br>  
 
आठ पहर मेरो मनरंजन<br>  
ऐ सखि साजन? ना सखि अंजन <br><br>
+
ऐ सखि साजन? ना सखि अंजन! <br><br>
  
 
१३.<br>
 
१३.<br>
पंक्ति 80: पंक्ति 82:
 
वा बिनु नेक न धीरज रहै<br>
 
वा बिनु नेक न धीरज रहै<br>
 
हरै छिनक में हिय की पीर<br>
 
हरै छिनक में हिय की पीर<br>
ऐ सखि साजन? ना सखि नीर<br><br>
+
ऐ सखि साजन? ना सखि नीर!<br><br>
  
 
१४.<br>
 
१४.<br>
पंक्ति 86: पंक्ति 88:
 
आये ते अँग-अँग सब फूले<br>
 
आये ते अँग-अँग सब फूले<br>
 
सीरी भई लगावत छाती<br>
 
सीरी भई लगावत छाती<br>
ऐ सखि साजन? ना सखि पाती<br><br>
+
ऐ सखि साजन? ना सखि पाती!<br><br>
  
 
१५.<br>
 
१५.<br>

23:25, 2 जून 2007 का अवतरण

रचनाकार: अमीर खुसरो

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*


१.
खा गया पी गया
दे गया बुत्ता
ऐ सखि साजन?
ना सखि कुत्ता!

२.
लिपट लिपट के वा के सोई
छाती से छाती लगा के रोई
दांत से दांत बजे तो ताड़ा
ऐ सखि साजन? ना सखि जाड़ा!

३.
रात समय वह मेरे आवे
भोर भये वह घर उठि जावे
यह अचरज है सबसे न्यारा
ऐ सखि साजन? ना सखि तारा!

४.
नंगे पाँव फिरन नहिं देत
पाँव से मिट्टी लगन नहिं देत
पाँव का चूमा लेत निपूता
ऐ सखि साजन? ना सखि जूता!

५.
ऊंची अटारी पलंग बिछायो
मैं सोई मेरे सिर पर आयो
खुल गई अंखियां भयी आनंद
ऐ सखि साजन? ना सखि चांद!

६.
जब माँगू तब जल भरि लावे
मेरे मन की तपन बुझावे
मन का भारी तन का छोटा
ऐ सखि साजन? ना सखि लोटा!

७.
वो आवै तो शादी होय
उस बिन दूजा और न कोय
मीठे लागें वा के बोल
ऐ सखि साजन? ना सखि ढोल!

८. बेर-बेर सोवतहिं जगावे
ना जागूँ तो काटे खावे
व्याकुल हुई मैं हक्की बक्की
ऐ सखि साजन? ना सखि मक्खी!

९.
अति सुरंग है रंग रंगीले
है गुणवंत बहुत चटकीलो
राम भजन बिन कभी न सोता
ऐ सखि साजन? ना सखि तोता!

१०.
आप हिले और मोहे हिलाए
वा का हिलना मोए मन भाए
हिल हिल के वो हुआ निसंखा
ऐ सखि साजन? ना सखि पंखा!

११.
अर्ध निशा वह आया भौन
सुंदरता बरने कवि कौन
निरखत ही मन भयो अनंद
ऐ सखि साजन? ना सखि चंद!

१२.
शोभा सदा बढ़ावन हारा
आँखिन से छिन होत न न्यारा
आठ पहर मेरो मनरंजन
ऐ सखि साजन? ना सखि अंजन!

१३.
जीवन सब जग जासों कहै
वा बिनु नेक न धीरज रहै
हरै छिनक में हिय की पीर
ऐ सखि साजन? ना सखि नीर!

१४.
बिन आये सबहीं सुख भूले
आये ते अँग-अँग सब फूले
सीरी भई लगावत छाती
ऐ सखि साजन? ना सखि पाती!

१५.
सगरी रैन छतियां पर राख
रूप रंग सब वा का चाख
भोर भई जब दिया उतार
ऐ सखी साजन? ना सखि हार!

१६.
पड़ी थी मैं अचानक चढ़ आयो
जब उतरयो तो पसीनो आयो
सहम गई नहीं सकी पुकार
ऐ सखि साजन? ना सखि बुखार!

१७. सेज पड़ी मोरे आंखों आए
डाल सेज मोहे मजा दिखाए
किस से कहूं अब मजा में अपना
ऐ सखि साजन? ना सखि सपना!

१८. बखत बखत मोए वा की आस
रात दिना ऊ रहत मो पास
मेरे मन को सब करत है काम
ऐ सखि साजन? ना सखि राम!