भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"भारत भाग्य विधाता / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=नागार्जुन
 
|रचनाकार=नागार्जुन
}}
+
}}{{KKCatKavita}}
 +
{{KKAnthologyDeshBkthi}}
 
<poem>
 
<poem>
 
ख़ून-पसीना किया बाप ने एक, जुटाई फीस
 
ख़ून-पसीना किया बाप ने एक, जुटाई फीस

01:41, 21 मई 2011 के समय का अवतरण

ख़ून-पसीना किया बाप ने एक, जुटाई फीस
आँख निकल आई पढ़-पढ़के, नम्बर पाए तीस
शिक्षा मंत्री ने सिनेट से कहा--"अजी शाबाश !
सोना हो जाता हराम यदि ज़्यादा होते पास"
फेल पुत्र का पिता दुखी है, सिर धुनती है माता
जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता

(1953 में रचित)