"कविता / मुकुटधर पांडेय" के अवतरणों में अंतर
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
कविता शैशव का सुविचार अनूप है । | कविता शैशव का सुविचार अनूप है । | ||
− | कविता | + | कविता भावोन्मत्तों का सुप्रलाप है, |
कविता कांत-जनों का मृदु आलाप है । | कविता कांत-जनों का मृदु आलाप है । | ||
पंक्ति 33: | पंक्ति 33: | ||
कविता आत्मोद्धारण हेतु दृढ़ ढाल है । | कविता आत्मोद्धारण हेतु दृढ़ ढाल है । | ||
− | कविता कोई लोकोत्तर | + | कविता कोई लोकोत्तर आह्लाद है, |
कविता सरस्वती का परम प्रसाद है । | कविता सरस्वती का परम प्रसाद है । |
14:20, 1 सितम्बर 2006 का अवतरण
कवि: मुकुटधर पांडेय
~*~*~*~*~*~*~*~
कविता सुललित पारिजात का हास है,
कविता नश्वर जीवन का उल्लास है ।
कविता रमणी के उर का प्रतिरूप है ,
कविता शैशव का सुविचार अनूप है ।
कविता भावोन्मत्तों का सुप्रलाप है,
कविता कांत-जनों का मृदु आलाप है ।
कविता गत गौरव का स्मरण-विधान है,
कविता चिर-विरही का सकरुण गान है ।
कविता अंतर उर का वचन-प्रवाह है,
कविता कारा बद्ध हृदय की आह है ।
कविता भग्न मनोरथ का उद्गार है,
कविता सुंदर एक संसार है ।
कविता वर वीरों का स्वर करवाल है,
कविता आत्मोद्धारण हेतु दृढ़ ढाल है ।
कविता कोई लोकोत्तर आह्लाद है,
कविता सरस्वती का परम प्रसाद है ।
कविता मधुमय-सुधा-ललित की है घटा,
कविता कवि के एक स्वप्न की है छटा ।
(चन्द्रप्रभा, 1917 में प्रकाशित)