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"अजनबी आँखें / अली सरदार जाफ़री" के अवतरणों में अंतर
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|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री | |रचनाकार=अली सरदार जाफ़री | ||
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सारी शामें उनमें डूबीं | सारी शामें उनमें डूबीं | ||
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सारे साग़र उनमें टूटे | सारे साग़र उनमें टूटे | ||
सारी मय | सारी मय |
18:39, 15 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण
सारी शामें उनमें डूबीं
सारी रातें उनमें खोईं
सारे साग़र उनमें टूटे
सारी मय
ग़र्क़ उन आँखों में है
देखती हैं वो मुझे लेकिन बहुत बेगानावार।