भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तू है या तेरा साया है / नासिर काज़मी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=नासिर काज़मी
 
|रचनाकार=नासिर काज़मी
 
}}
 
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
+
{{KKCatGhazal}}
 
तू है या तेरा साया है<br>
 
तू है या तेरा साया है<br>
 
भेस जुदाई ने बदला है<br><br>
 
भेस जुदाई ने बदला है<br><br>

04:06, 28 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

तू है या तेरा साया है
भेस जुदाई ने बदला है

दिल की हवेली पर मुद्दत से
ख़ामोशी का क़ुफ़्ल पड़ा है

चीख़ रहे हैं ख़ाली कमरे
शाम से कितनी तेज़ हवा है

दरवाज़े सर फोड़ रहे हैं
कौन इस घर को छोड़ गया है

हिचकी थमती ही नहीं 'नासिर'
आज किसी ने याद किया है