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"गीली मुलायम लटें / शमशेर बहादुर सिंह" के अवतरणों में अंतर
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18:19, 3 जुलाई 2008 के समय का अवतरण
गीली मुलायम लटें
आकाश
साँवलापन रात का गहरा सलोना
स्तनों के बिंबित उभार लिए
हवा में बादल
सरकते
चले जाते हैं मिटाते हुए
जाने कौन से कवि को...
नया गहरापन
तुम्हारा
हृदय में
डूबा चला जाता
न जाने कहाँ तक
आकाश-सा
ओ साँवलेपन
ओ सुदूरपन
ओ केवल
लयगति...