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"शहर में तुम नहीं हो / रवीन्द्र दास" के अवतरणों में अंतर

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शहर में तुम नहीं हो
 
शहर में तुम नहीं हो
 
 
इस समय, वह भी नहीं है इस शहर में  
 
इस समय, वह भी नहीं है इस शहर में  
 
 
अकेला हो रहा हूँ
 
अकेला हो रहा हूँ
 
 
न दोस्त ,न दुश्मन
 
न दोस्त ,न दुश्मन
 
 
कोई जो तीसरा है
 
कोई जो तीसरा है
 
 
मुसाफिर अजनबी है
 
मुसाफिर अजनबी है
 
 
कभी वह पूछता है रास्ता अपनी गरज से
 
कभी वह पूछता है रास्ता अपनी गरज से
 
 
मगर चौथा नहीं कोई जो ठहरा हो कहीं भी  
 
मगर चौथा नहीं कोई जो ठहरा हो कहीं भी  
 
 
तनिक आराम ही कर ले  
 
तनिक आराम ही कर ले  
 
 
ताकि कर लूँ बात मौसम की भले ही  
 
ताकि कर लूँ बात मौसम की भले ही  
 
 
सभी हैं व्यस्त  
 
सभी हैं व्यस्त  
 
 
गोया मैं किसी को भी नज़र आता नहीं शायद  
 
गोया मैं किसी को भी नज़र आता नहीं शायद  
 
 
शहर में  
 
शहर में  
 
 
शहर ख़ुद है,
 
शहर ख़ुद है,
 
 
धमकती रौनकें हैं  
 
धमकती रौनकें हैं  
 
 
चमकती रौशनी है , इतर की भी महक है  
 
चमकती रौशनी है , इतर की भी महक है  
 
 
नहीं हो तुम शहर में  
 
नहीं हो तुम शहर में  
 
 
तो मुझको यह शहर सचमुच बड़ा बेनूर लगता है  
 
तो मुझको यह शहर सचमुच बड़ा बेनूर लगता है  
 
 
कहो खुदगर्ज या जो भी  
 
कहो खुदगर्ज या जो भी  
 
 
मगर तुम लौट आओ  
 
मगर तुम लौट आओ  
 
 
अकेला हो रहा हूँ मैं  
 
अकेला हो रहा हूँ मैं  
 
 
बताऊँ क्या के अपनी शक्ल की परछाई देखे हो गया अरसा  
 
बताऊँ क्या के अपनी शक्ल की परछाई देखे हो गया अरसा  
 
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शहर में...
शहर में.....
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23:33, 6 जून 2009 के समय का अवतरण

शहर में तुम नहीं हो
इस समय, वह भी नहीं है इस शहर में
अकेला हो रहा हूँ
न दोस्त ,न दुश्मन
कोई जो तीसरा है
मुसाफिर अजनबी है
कभी वह पूछता है रास्ता अपनी गरज से
मगर चौथा नहीं कोई जो ठहरा हो कहीं भी
तनिक आराम ही कर ले
ताकि कर लूँ बात मौसम की भले ही
सभी हैं व्यस्त
गोया मैं किसी को भी नज़र आता नहीं शायद
शहर में
शहर ख़ुद है,
धमकती रौनकें हैं
चमकती रौशनी है , इतर की भी महक है
नहीं हो तुम शहर में
तो मुझको यह शहर सचमुच बड़ा बेनूर लगता है
कहो खुदगर्ज या जो भी
मगर तुम लौट आओ
अकेला हो रहा हूँ मैं
बताऊँ क्या के अपनी शक्ल की परछाई देखे हो गया अरसा
शहर में...