भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"एक मुक्तक / यगाना चंगेज़ी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: किधर चला है? इधर एक रात बसता जा गरजनेवाले ग्रजता है क्या, बरसता जा ...) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | किधर चला है? इधर एक रात बसता जा | + | {{KKGlobal}} |
− | + | {{KKRachna | |
+ | |रचनाकार=यगाना चंगेज़ी | ||
+ | |संग्रह= | ||
+ | }} | ||
+ | <poem>किधर चला है? इधर एक रात बसता जा | ||
गरजनेवाले ग्रजता है क्या, बरसता जा | गरजनेवाले ग्रजता है क्या, बरसता जा | ||
− | |||
रुला-रुला के ग़रीबों को हँस चुका कल तक | रुला-रुला के ग़रीबों को हँस चुका कल तक | ||
− | |||
मेरी तरफ़ से अब अपनी दसा पै हँसता जा॥ | मेरी तरफ़ से अब अपनी दसा पै हँसता जा॥ | ||
+ | </poem> |
13:23, 9 जुलाई 2009 का अवतरण
किधर चला है? इधर एक रात बसता जा
गरजनेवाले ग्रजता है क्या, बरसता जा
रुला-रुला के ग़रीबों को हँस चुका कल तक
मेरी तरफ़ से अब अपनी दसा पै हँसता जा॥