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"मुझे फरक नहीं पड़ता / राजी सेठ" के अवतरणों में अंतर
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14:23, 8 मई 2009 के समय का अवतरण
मुझे फरक नहीं पड़ता
दी यदि तुमने मुझे ठंडी रोटी
भाई को गरम
फर्क नहीं पड़ता
खाने से फीके आम
बासी मिठाई
पहनने में उतरन
सदियों से जानती रही
रोटी में भूख
फलों में गंध-रस
कपड़ों में आवरण
मुझे फर्क नहीं पड़ता
पड़ेगा भाई को
जो खो देगा ऑंख
जानेगा नहीं क्या होती है असली बांट
जानेगा नहीं क्या पाने के लिये
इतना थरथराती है तुला हाथों में
जानेगा नहीं
क्या ले कर क्या खो रहा है अभागा