भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मशवरे / कैफ़ी आज़मी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 21: पंक्ति 21:
 
कहाँ तक चलेगा किनारे-किनारे<br><br><br>
 
कहाँ तक चलेगा किनारे-किनारे<br><br><br>
  
फ़ज़ा=वातावरण ; मिशाल=मशाल ; गर्दूँ=आकाश ; साहिल=किनारा ; तलातुम=बाढ<br><br>
+
पीरी=बुढापा ; शबाब=यौवन ; फ़ज़ा=वातावरण ; मिशाल=मशाल ; गर्दूँ=आकाश ; साहिल=किनारा ; तलातुम=बाढ<br><br>

20:26, 12 नवम्बर 2006 का अवतरण

लेखक: कैफ़ी आज़मी

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*

पीरी:
ये आँधी ये तूफ़ान ये तेज़ धारे
कड़कते तमाशे गरजते नज़ारे
अंधेरी फ़ज़ा साँस लेता समन्दर
न हमराह मिशाल न गर्दूँ पे तारे

मुसाफ़िर ख़ड़ा रह अभी जी को मारे

शबाब:
उसी का है साहिल उसी के कगारे
तलातुम में फँसकर जो दो हाथ मारे
अंधेरी फ़ज़ा साँस लेता समन्दर
यूँ ही सर पटकते रहेंगे ये धारे

कहाँ तक चलेगा किनारे-किनारे


पीरी=बुढापा ; शबाब=यौवन ; फ़ज़ा=वातावरण ; मिशाल=मशाल ; गर्दूँ=आकाश ; साहिल=किनारा ; तलातुम=बाढ