भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ज़िन्दगी / प्रताप सहगल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=प्रताप सहगल | |रचनाकार=प्रताप सहगल | ||
+ | |संग्रह=आदिम आग / प्रताप सहगल | ||
}} | }} | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} |
10:56, 14 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
पैबन्द-दर-पैबन्द
फटी हुई पतलून
फिर भी
टांगों में फँसाए रखने का
जुनून।