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"क्यों हाथ जला, लाख छुपाए गोरी / जाँ निसार अख़्तर" के अवतरणों में अंतर
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क्यों हाथ जला, लाख छुपाए गोरी | क्यों हाथ जला, लाख छुपाए गोरी |
18:48, 19 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
क्यों हाथ जला, लाख छुपाए गोरी
सखियों ने तो खोल के पहेली रख दी
साजन ने जो पल्लू तेरा खेंचा, तू ने
जलते हुए दीपक पे हथेली रख दी