भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"फसल / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | एक | + | एक की नहीं, |
− | दो | + | दो की नहीं, |
ढेर सारी नदियों के पानी का जादू: | ढेर सारी नदियों के पानी का जादू: | ||
एक के नहीं, | एक के नहीं, | ||
दो के नहीं, | दो के नहीं, | ||
लाख-लाख कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमा: | लाख-लाख कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमा: | ||
− | एक | + | एक की नहीं, |
− | दो | + | दो की नहीं, |
हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण धर्म: | हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण धर्म: | ||
21:25, 28 अप्रैल 2020 के समय का अवतरण
एक की नहीं,
दो की नहीं,
ढेर सारी नदियों के पानी का जादू:
एक के नहीं,
दो के नहीं,
लाख-लाख कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमा:
एक की नहीं,
दो की नहीं,
हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण धर्म:
फसल क्या है?
और तो कुछ नहीं है वह
नदियों के पानी का जादू है वह
हाथों के स्पर्श की महिमा है
भूरी-काली-संदली मिट्टी का गुण धर्म है
रूपांतर है सूरज की किरणों का
सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का!